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आज गधों को इतना क्यों सजाते है यहाँ

पूरे विश्व की पहचान इतिहास के पन्नों में दर्ज
उज्जैन (आदित्य शर्मा स्टेट ब्यूरो)। कार्तिक माह की पूर्णिमा से शिप्रा किनारे इंसानो के लिए मेला लगाय जाता है। इससे पहले मेला परिसर के बाहर ही गधों का मेला भी लगता है। इसमें केवल गधे ही नहीं घोड़े और खच्चर भी सज धज के आते हैं। इस मेले में इन जानवरों की खरीद फरोख्त होती है।यहां प्रदेश ही नहीं गुजरात राजस्थान, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के प्रदेशों से भी मवेशी के व्यापारी आते है। गधों के व्यापारी बबलू प्रजापति ने बताया की पुराने समय से ही गधों को माल़ लाने ले जाने के काम में लिया जाता रहा है और आज भी जहां मानव निर्मित मशीन नही पहुंचती वहां गधे पहुंच जाते है इनके दांत के बीच एक दांत होता है, जिसकी घिसावट को देखकर इनकी उम्र पता चल जाति है।
इस घटना क्रम की चर्चा पूरे विश्व मे चर्चित है। वहीं जिन्हें गधे घोड़े कहा जाता है वह सारे मवेशी मध्यप्रदेश के उज्जैन जिले में कार्तिक मेले के प्रारंभ से एक दिन पूर्व यहाँ दिखाई देते है जिसे गधे के मेले नाम से जाना जाता है।वहीं मालवा में उक्त मेले की भांति भांति भिन्न कहानिया है जिन्हें जानने और समझने के लिए आपको यहां आकर आनन्द के साथ व्यतीत दिन चर्या के साथ जानना होगा।

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