खाचरौद के अति प्राचीन मंदिर में हुआ हरिहर मिलन, भगवान शंकर दिखे चंद्रमौली स्वरूप में…
उज्जैन (खाचरौद)। अति प्राचीन तालाब की पाल पर स्थित श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर से हर को हरी से मिलना कराने के लिए के भगवान महादेव के चंद्रमौली स्वरूप मुखोटे को पालकी में विराजमान किया गया, तो वहीं पालकी प्रारंभ से पहले पुजारी के द्वारा मंत्र उच्चारण और विधि विधान के साथ पालकी में विराजमान महादेव स्वरूप मुखोटे की पूजा अर्चना की गई शनिवार शाम 8 बजे महादेव मंदिर से ठाठ बाठ आतिशबाजी के बीच ढोल धमाके बैंड बाजों के साथ के चांदी की पालकी में विराजमान होकर श्री विष्णु के अवतार गोपाल जी से मिलना के लिए अपने परंपरागत मार्ग पुराना बस स्टैंड, पुराना थाना, रावला, धाकड़ धर्मशाला कस्बा से होते हुए शीतला माता मार्ग, पालकी श्री राम मंदिर पहुंची जहां पुजारी के द्वारा विधि विधान के साथ पालकी में विराजमान भगवान श्री नीलकंठेश्वर महादेव की पूजा अर्चना कर आरती की गई श्री राम मंदिर से पुनः प्रारंभ होकर गणेश देवली, अनंत नारायण चौराहा, लखारावाड़ी, बामणी पुरा,कबाड़ी पूरा, होते हुए। देर रात नागदा रोड़ स्थित गोपाल मंदिर पहुंची। यहां श्री नीलकंठेश्वर भगवान और श्री विष्णु के अवतार श्री गोपाल जी से मिलना हुआ और फिर एक-दूसरे की प्रिय वस्तुओं को भेंट किया गई। श्री महादेव को चढ़ने वाले आंकड़े के फूल और माला जहां श्री विष्णु अवतार श्री गोपाल जी को अर्पित हुई तो वहीं श्री महादेव को भी विष्णु भगवान की प्रिय तुलसी को अर्पण किया गया। गोपाल मंदिर पर मंत्र उच्चारण के साथ पालकी में विराजमान भगवान महादेव एवं भगवान कृष्ण प्रतिमा की पूजा अर्चना कर आरती की गई गोपाल मंदिर में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं पहुंचे जहां इस दुर्लभ दृश्य को देखकर अपना जीवन धन्य करने हेतु भक्त पूरे वर्ष उत्सुकता के साथ प्रतीक्षा करते हैं। यह अनूठी परंपरा वैष्णव एवं शैव मार्ग के समन्वय व परस्पर सौहार्द्र का प्रतीक है साल भर में एक बार यह अनुपम दृश्य देखने को मिलता है। भगवान के नगर भ्रमण के दौरान पूरे परंपरागत रास्ते पर श्रद्धालुओं ने पटाखे छोड़कर हरिहर मिलन की खुशी मनाई। नगर में भ्रमण के दौरान विभिन्न ग्रुप के द्वारा प्रमुख चौराहो पर रंगोली बनाई गई तो कहीं फूलों से स्वागत तो कहीं आरती कर प्रसादी वितरण भी किया गई।